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पिंपळाचे झाड खरच 24 तास ऑक्सिजन देत का ?

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  पिंपळ वड 24 तास ऑक्सिजन देतात अशा काही कॉपी पेस्ट बऱ्याच वेळा वाचायला मिळतात जे की पूर्णपणे खोटं आणि विज्ञान विरोधी आहे.  कारण झाड ऑक्सिजन तेव्हाच सोडू शकत जोपर्यंत सूर्यप्रकाशाच्या मदतीने photosynthesis ची प्रक्रिया चालू आहे  एक chemical reaction होते  6 CO2 + 12 H2O + sunlight + Chlorophyll ➡️➡️➡️  ➡️ C6H12O6 + 6 O2 + 6 H2O  या तिघांपैकि झाडांना अन्न म्हणून फक्त C6H12O6 (glucose) ची आवश्यकता राहते   राहिलेल्या पाण्याला पेशींद्वारे शोषून पुन्हा photosynthesis च्या कार्यात लावले जाते आणि ऑक्सिजनला वातावरणात सोडले जाते.  हि सगळी प्रक्रिया तेव्हाच होते जोपर्यंत सूर्यप्रकाश उपलब्ध आहे  मग ते वड पिंपळ किंवा कोणतही झाड असो.  त्यामुळे वड पिंपळ हे 24 तास ऑक्सिजन देतात हे धार्मिक लोकांच pseudoscience आहे

सीता के सुडौल स्तन और जांघें 👉 रामायण में

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धर्म ग्रंथ और उसके आदर्श पात्रों बारे में आम बामन धर्मी लोगों को बस इतना ही पता है जितना उन्हें टीवी पर दिखाया गया है या किसी कथावाचक बाबा पंडेने उन्हें बताया है, और ऐसी ही सुनी सुनाई कथाओं से वो उन पात्रों का अती भावनिक होकर आदर करते हैं लेकिन जब हम मूल ग्रंथों को खोल कर देखते है तब बहुत सारी ऐसी सच्चाई निकल कर सामने आती है जिसे आम लोगों से छुपाया गया हो  जैसे वाल्मीकि रामायण में 6 अलग अलग जगहों पर सीता के स्तन जांघें, नाभि, कमर, नितंब (गां#) का अलंकारिक वर्णन आया है  1. पहला प्रसंग सीता हरण का है  जब रावण उसके पास आता है तब कहता है  तुम्हारे दोनों स्तन पुष्ट गोलाकार, मोटे , उठे हुए, ताड़फल के आकार के है (श्लोक 19,20) तुम्हारी कमर इतनी पतली है कि मुट्ठी में आ जाए, केश चिकने मनोहर है, दोनों स्तन परस्पर सटे हुए है (श्लोक 22)  (अरण्य काण्ड, 46) 2. सीता हरण के बाद राम दुखी होकर कहता है  मेरी प्रिया के दोनों गोल गोल स्तन जो सदा लाल चंदन से चर्चित होने योग्य थे निश्चित की रक्त की किच में सन गए होंगे  (अरण्य काण्ड 63/8)  3. हनुमान जब सीता को खोजते खोजते...

बामन धर्म की छुआछूत प्रथा पर भगत सिंग के विचार

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 हिंदुत्वादी जो अपने धर्म की हर बुराई को मुगल अंग्रेज़ो पर थोपना चाहते है, उन्हें उनके धर्म की कु प्रथा छुआछूत पर भगत सिंह के विचार जानने चाहिए  भगत सिंग अपने ' अछूत का सवाल ' नामक लेख में लिखते है  (समस्या यह है कि 30 करोड़ की जनसख्यावाले देश में जो 6 करोड लोग अछत कहलाते हैं , उनके स्पर्श मात्र से धर्म भ्रष्ट हो जायेगा ! उनके मन्दिरों में प्रवेश से देवगण नाराज हो उठेंगे ! कुएँ से उनके द्वारा पानी निकालने में कुआ अपवित्र हो जायेगा ! ये सवाल बीसवीं सदी में किये जा रहे हैं , जिन्हें कि सुनते ही शर्म आती है ।) आगे वो समाज सुधार का नाटक करने वाले मदन मोहन मालवीय की पोल खोल करते है  (इस समय मालवीय जैसे बडे समाज सुधारक अछूतो के बड़े प्रेमी न जाने क्या क्या पहले एक मेहतर के हाथो  गले में हार डलवा लेते है लेकिन कपड़े सहित स्नान किए बिना स्वय को अशुद्ध समजते है, क्या खूब यह चाल है)  आगे वो अछूतों के इस्लाम में हुए धर्मांतरो का समर्थन करते है और उनकी प्रशंसा करते है  (अधिक अधिकारों की माँग के लिए अपनी - अपनी कौम की संख्या बढ़ाने की चिन्ता सभी को हुई । मस्लिमों न...

जाती व्यवस्था पर बामनवादीओ द्वारा फैलाया गया झूट

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आधुनिक काल मे जब जाती व्यवस्था पर सवाल उठते हैं तब धर्म कि इज्जत बचाने के लिए संघी मनुवादी दयानंदी हमेशा की तरह अगल अलग झूट का सहारा लेते हैं  उसी में से एक झूट है जाती व्यवस्था पर,  उनके झूट फैलाने की शुरुवात अंग्रेजी शब्द कास्ट सिस्टम से होती है,  अब आज के समय में हर व्यक्ति हिंदी भाषा बोलते वक्त थोड़े बहुत अंग्रेजी शब्द तो बोलता ही है,  उसी तरह जाती व्यवस्था पर बात करते हुए भी लोग आम तौर पर कास्ट सिस्टम शब्द का इस्तेमाल करते है।  तो इसी आधार पर ये लोग धर्म का बचाव करने के लिए कुतर्क करना शुरू कर देते है कि कास्ट सिस्टम हमारे धर्म का हिस्सा नहीं है, ये कास्ट शब्द पोर्तुगीज के कैस्टा शब्द से बना है।  हमारे धर्म में तो वर्ण व्यवस्था थी और वो कर्म के आधार पर,  उनके इस दुष्प्रचार के जवाब में हमने वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित थी और कर्म व्यवसाय ना होकर आत्मा पुनर्जन्म के फिलोसॉफी का एक पार्ट है इसपर दो लेख पहले से ही लिखे है  यहां हम बात करेंगे संघी मनुवादी दयानंदी लोगों के जाती व्यवस्था के दावे पर की जाती व्यवस्था हमारे धर्म का अंग है ही नहीं  मनु...

वेदों में विज्ञान या अज्ञान

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  पिछले 1 शतक से वेदों में विज्ञान होने का दावा किया जा रहा है, आधुनिक काल में धर्म का मार्केटिंग करने के लिए।  इसकी शुरुवात हुई थी दयानंद और उसके आर्य समाज से  आज के समय में 99.9% लोगों ने वेद पढ़ना तो दूर उसे देखा भी नहीं होता।  इसी का फायदा उठा कर धर्म का मार्केटिंग करने वाले संघी मनुवादी दयानंदी अलग अलग कॉपी पेस्ट वायरल करके या वीडियो बनाके वेदों में विज्ञान होने का दावा करते है  लेकिन जब हम वेद उठा कर पढ़ते है तब उसमें विज्ञान तो नहीं लेकिन अज्ञानता से भरी हुई विज्ञान विरोधी बाते जरूर मिलती है  उसी मे से कुछ उदाहरण यहां में दिखता हूं पृथ्वी स्थिर है  अथर्व वेद 6-77-1 के अनुसार पृथ्वी स्थिर है  सूर्य लोक ठहरा हुआ है, पृथ्वी ठहरी हुई है, यह सब जगत ठहरा हुआ है ||1|| ऐसी ही बात अथर्व वेद 6-44-1 में भी लिखी हुई है  ठीक यही भाष्य अथर्व वेद के आर्य समाजी भाष्य कार क्षेमकरण दास त्रिवेदी ने भी किया है  ऋग्वेद 10-89-4 अनुसार इन्द्र ने पृथ्वी को रोखकर रखा है  इन्द्र अपने कर्मो द्वारा पृथ्वी को रोके हुए है||4|| यजर्वेद 5/16 में भी पृथ्वी क...

बामनो ने शूद्र अति शूद्रो पर अत्याचार कैसे किए?

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बहोत सारे लोगों के दिमाग में ये सवाल जरूर आया होगा कि शूद्र अति शूद्र संख्या में ज्यादा होने के बावजूद कोई उनपर अत्याचार कैसे कर सकता है।  उन्होंने उसके खिलाफ कोई विद्रोह क्यों नहीं किया ?  आज इसी बात का विश्लेषण हम करेंगे  सबसे पहले तो हमें ये जान लेना चाहिए की किसी भी समाज या व्यक्ति का नैतिक दृष्टिकोण उतना ही विकसित होता है जितना उसे प्रकृति और विज्ञान के नियम पता होते है  आज कोई शूद्र नहीं मानेगा की उसकी उत्पत्ति ब्रह्मा के पैर से हुई है। और ना ही कोई शूद्र अति शूद्र ये मानेगा की पिछले जन्म के पाप के कारण उसे शूद्र अति शूद्र वर्ण में जन्म मिला है।  क्युकी उसके पास अब प्रकृति और विज्ञान की वो जानकारी है जिससे वो पुरानी धारणाओ को नहीं मनेगा और उसे गलत भी साबित करेगा।  लेकिन जब प्रकृति और विज्ञान के नियम जब भारतीय लोगों को पता नहीं थे तब भारतीय समाज में कौनसी धारणा रही होगी ?  जिस वर्ग के पास ज्ञान का एकाधिकार था उस वर्ग ने लोगो के दिमाग में क्या क्या धारणा  डाली होगी ?  इसकी शुरुवात होती है तब जब आर्यो के ही एक धूर्त कपटी वर्ग ने उनको ब्रह्...

बामनवादी सेक्स एजुकेशन

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पुरातनवादी धार्मिक लोग अक्सर ये कहते हुए देखे जाते हैं कि इंग्रेज और बॉलीवुड  ने उनकी संस्कृति को बिगाड़ दिया है।  ये लोग आपने ग्रंथो में ज्ञान विज्ञान तत्वज्ञान होने का भी दावा करते है इसलिए हम इनके ग्रंथो से महान संस्कृति और विज्ञान होने की समीक्षा करेंगे इन्द्र इंद्राणी का संवाद  ऋग्वेद 10-86 में इन्द्र इंद्राणी का एक संवाद आया है उस संवाद का एक अंश  इंद्राणी कहती है  वह व्यक्ति मैथुन करने में समर्थ नहीं हो सकता जिसकी पुरुषंद्रिय जांघों के बीच लटकती है . वह व्यक्ति मैथुन करने में समर्थ हो सकता है , जिसकी बालों से युक्त पुरुषंद्रिय सोते समय विस्तृत होती है . फिर इन्द्र कहता है  इंद्र ने कहा- " वह पुरुष मैथुन करने में समर्थ नहीं हो सकता जिसकी बालों वाली पुरुषंद्रिय उसके सोते समय विस्तत होती है , वही व्यक्ति मैथुन करने में समर्थ हो सकता है जिसकी पुरुर्षेद्रिय जांघों के बीच में लटकती है . इंद्र सबसे श्रेष्ठ हैं . (ऋग्वेद 10-86-16,17)  देखे, ऋग्वेद, गंगा सहाय शर्मा, पृष्ठ 1715  ऋग्वेद, राम गोविंद त्रिवेदी, पृष्ठ 1348 ===================  वैसे ग...