बामन धर्म की छुआछूत प्रथा पर भगत सिंग के विचार




 हिंदुत्वादी जो अपने धर्म की हर बुराई को मुगल अंग्रेज़ो पर थोपना चाहते है, उन्हें उनके धर्म की कु प्रथा छुआछूत पर भगत सिंह के विचार जानने चाहिए 


भगत सिंग अपने ' अछूत का सवाल ' नामक लेख में लिखते है 


(समस्या यह है कि 30 करोड़ की जनसख्यावाले देश में जो 6 करोड लोग अछत कहलाते हैं , उनके स्पर्श मात्र से धर्म भ्रष्ट हो जायेगा ! उनके मन्दिरों में प्रवेश से देवगण नाराज हो उठेंगे ! कुएँ से उनके द्वारा पानी निकालने में कुआ अपवित्र हो जायेगा ! ये सवाल बीसवीं सदी में किये जा रहे हैं , जिन्हें कि सुनते ही शर्म आती है ।)





आगे वो समाज सुधार का नाटक करने वाले मदन मोहन मालवीय की पोल खोल करते है 


(इस समय मालवीय जैसे बडे समाज सुधारक अछूतो के बड़े प्रेमी न जाने क्या क्या पहले एक मेहतर के हाथो  गले में हार डलवा लेते है लेकिन कपड़े सहित स्नान किए बिना स्वय को अशुद्ध समजते है, क्या खूब यह चाल है) 






आगे वो अछूतों के इस्लाम में हुए धर्मांतरो का समर्थन करते है और उनकी प्रशंसा करते है 


(अधिक अधिकारों की माँग के लिए अपनी - अपनी कौम की संख्या बढ़ाने की चिन्ता सभी को हुई । मस्लिमों ने जरा ज्यादा जोर दिया । उन्होंने अछुतों को मुसलमान बनाकर अपने बराबर अधिकार देने शुरू कर दिये )






आगे वो बामन धर्म धर्म के कर्म फल के आधार पर मिलने वाले पुनर्जन्म सिद्धांत की आलोचना करते है जिसके अनुसार अछूत पैदा होना पिछले जन्म का पाप समझा जाता था 



(हमारे पूर्वज आर्यों ने इनके साथ ऐसा अन्यायपूर्ण व्यवहार किया तथा उन्हें नीच कहकर दुत्कार दिया एवं निम्नकोटि के कार्य करवाने लगे । साथ ही यह भी चिन्ता हुई कि कहीं ये विद्रोह न कर दें , तब पुनर्जन्म के दर्शन का प्रचार कर दिया कि यह तम्हारे पूर्व जन्म के पापों का फल है । अब क्या हो सकता है ? चुपचाप दिन गुजारो ! इस तरह उन्हें धैर्य का उपदेश देकर वे लोग उन्हें लम्बे समय तक के लिए शान्त करा गए) 




आगे वो अछूत गंदे रहते है इस कुतर्क का जवाब देते है



(अक्सर कहा जाता है कि वह साफ नहीं रहते । इसका उत्तर साफ है - वे गरीब हैं । गरीबी का इलाज करो । ऊंचे - ऊंचे कलों के गरीब लोग भी कोई कम गन्दे नहीं रहते । गन्दे काम करने का बहाना भी नहीं चल सकता , क्योंकि माताएं बच्चों का मैला साफ करने से मेहतर तथा अछुत तो नहीं हो जाती )






आगे वो बामन धर्मी लोगो को अछूतो  की माफी मांगने की सलाह देते है 


(जिन्हें आज तक अछुत कहा जाता रहा उनसे अपने इन पापों के लिए क्षमा - याचना करनी चाहिए तथा उन्हें अपने - जैसा इन्सान समझना चाहिए) 





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भगत सिंग और उनके साथियों के दस्तावेज, पृष्ठ 225 से 228

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