शिवलिंग शंकर का गुप्तांग हि है
बहोत सारे लोग अपने धर्म कि अश्लिलता छिपाने के लिए दावा करते है शिवलिंग शिवजी का गुप्तांग नही है. यहा लिंग का अर्थ प्रतिक या चिन्ह है. इस दुष्प्रचार के लिए बहोत सारे लेख लिखे गये है, युट्युब पर व्हिडीओ बनाये गये है. कुछ युट्युब चॅनल्स तो ने शिवलिंग को सायन्स के साथ हि जोड दिया. इसलिए इस दुष्प्रचार का खंडन करना हमे आवश्यक लगा.
अगर लिंग का अर्थ प्रतिक या चिन्ह है तो इसका नाम भि शिव प्रतिक या शिव चिन्ह होना चाहिये था.
असल मे शिवलिंग शंकर का गुप्तांग हि है
ये बात हम नही ब्राह्मणो के हि पुराणो मे लिखी है.
#शिवपुराण
शिवपुराण मे शिवलिंग स्थापना कि एक कथा है
कथा के अनुसार
दारु नाम के वन मे शिवभक्त ब्राह्मण रहते थे वे एक बार लकडियां चुनने के लिए वन को गये.
उतने मे वहा शिवजी आ गये जोकी नंगे थे और हाथ मे अपना लिंग पकडे हुये थे.
उनको देखकर ऋषींओ कि पत्नीया भयभित,व्याकुल,हैरान हो गयी. कई अलिंगन करने लगी.
उतने मे वहा ऋषी महात्मा आ गये क्रोध मे उन्होंने श्राप दिया कि तुम्हारा लिंग पृथ्वी पर गिर पडे. और वैसा हि हुआ.
वो लिंग जहा भी जाता सब कुछ जलकर भस्म हो जाता.
तब उन ऋषी महात्माओ ने ब्रह्माके कहने पर पार्वती कि आराधना कि.
पार्वतीने योनीरुप धारण करके उस लिंग को अपने अंदर स्थापित कर लिया.
(शिवपुराण, कोटीरुद्रसंहिता 4, अध्याय 12)
क्या कहते हो पंडो क्या अब भी शिवलिंग को प्रतिक या चिन्ह हि कहोगे ?
कथा से स्पष्ट है कि पार्वतीने अपनी योनी मे शंकर के लिंग को स्थापित करके रखा है.
#भविष्य_पुराण
भविष्य पुराण मे भी शिवलिंग पर एक कथा है. कथा के अनुसार
एक बार ब्रह्मा विष्णु और महेश अत्रि ऋषी कि पत्नी अनुसया के पास गये. और उनकी सुंदरता पर मंत्रमुग्ध हो कर उनसे कहने लगे हे मदभरे नेत्रो वाली सुंदरी ! तुम हमे रति प्रदान करो
अन्यथा हम यही तुम्हारे सामने अपने प्राण त्याग देंगे.
पतीव्रता अनुसया ने तिनो को मना कर दिया.
तब शिवजी अपना लिंग हाथ मे पकड लिये और विष्णु उसमे रसवृद्धी करने लगे, तथा ब्रह्मा भी कामपिडीत होकर अनुसया पर टूट पडे.
जब तिनो जबरन अनुसया को मैथुनार्थ पकडने लगे तब उसने तिनो को श्राप दिया तुम तिनो ने मेरा पतिव्रता धर्म भंग करने कि चेष्टा कि है इसलिए महादेव का लिंग विष्णु के चरण और ब्रह्मा का सिर हमेशा उपहास के कारण बनेंगे
(भविष्य पुराण, प्रतिसर्ग पर्व खंड 4,अध्याय 17 श्लोक 67-82,
हिंदी साहित्य प्रकाशन,प्रयाग)
इन दोनो अश्लिल कथाओ से बिलकुल स्पष्ट है कि शिवलिंग शिवजी का प्रतिक या चिन्ह नही बल्की गुप्तांग हि है.
21 वी सदी मे किसी के लिंग कि पुजा करना बहोत हि मुर्खतापुर्ण बात है. लेकिन अपने धर्म कि दुकानदारी चलती रहे इसलिए पंडे शिवलिंग कि सच्चाई लोगों के सामने आने नही देते
Aapko nahi lgta ye ek kalpnik chij hai...aapko lgta hai ye sachchi kahani hai...jitne bhi puran hai sab to kalpnik hai...
ReplyDeleteSir apko or apke mata pita ko mera dilse pranam......pakhandi brmhnijam ur pandito ne Hume suar jesi nark Bhri jindegi jine me majboor kardiya hai.Dukh ki baat ye hai ki Hamare sc,st,obc k log AJ v bebakuv hain.ye log sir hamare purbaj Mahapurushon ko jese ki phule,periyar,sahuji,budha,kabir,BABA SAHEB AMBEDKAR,kanshiraam ko ajtak Jan nehin paye ishiliye.Ye sab manusmurti ur brmhnijam Karan hua hai.khas kar k obc k log Janbuj kar akhen band karlete hain.Ye log cast system me opne ko Sudra mante hi nehin.Ish per najar rakhna jaruri hai Sahi lage to thoda dhyan rakhna .apka bhit bhut dhanyabaad sir.app jese lod agr hain to manubadiyan ka Atyachar ur Shoshana khatama hojayega 101℅ Mujhe biswas hai....
ReplyDeleteNamastey guruji, yeh sab to brahmano dwara rachit mahakabya, manghadant kahaniya hi hai,nastik toh is kahaniyo ko bilkul nahi manengey, sirey se kharich kardena yeh bhi uchit nahi hai
ReplyDeleteisliye hume tark se in sabhi chijo ko adhyan karkey inka logic nikalkar clearify karna hota hai, Jaise aap log kartey hai ,aur yehi sahi rasta hai.
भारत में सभी समस्या का मूलकारण ब्राह्मणवाद है। इस ब्राह्मणवाद क़ो जड़ से खत्म करने के लिये जॉइन करें BAMCEF
ReplyDeleteI am interest join bamcef
Deleteइन पाखंडियों ने जनता को ऐसा गुमराह कर रखा है, की उन्हें लिंग की पूजा करने में भी शर्म नहीं आ रही है
ReplyDeleteशिवलिंग और बलात्कारी हिन्दू भगवान काल्पनिक है,
ReplyDeleteशिव का लीग सिप sex के लिए है उसपर दूध ना डाले,
शिवलिंग वास्तव में शिव का लिंग ही है, मैने आज दिनांक06/04/20 को मैने शिव पुराण श्री कोतिरुद्र्संहीता अध्याय12 से इसकी पुष्टि की है।
ReplyDeleteमैंने ब्राह्मण जाति में जन्म अवश्य लिया है लेकिन ब्राह्मण मुझे पसंद नहीं करते।शिवपुराण में विष्णु का मोहिनी रूप पर शिव का आसक्त होना sabrimala का शिव के विष्णु से सेक्स से पैदा होना, खुद अपनी पत्नी सती को राम की परीक्षा लेने के प्रयास में सीता का रूप धारण करने मात्र से त्याग देना आदि सभी दृष्टांत अश्लीलता व पाखंड से भरे हैं। पर इनमें मेरे तमाम बेईमान भ्रष्ट किस्म के दलित व ओबीसी के मित्र भी खूब आस्था रखते हैं। इसलिए केवल ब्राह्मण बाद को दोष देना उचित नहीं है। सक्षम पैसे वाला दलित भी मनुवादी हो जाता है और वह गरीब दलित या महा दलित से ब्राह्मणों से भी ज्यादा घृणा करने लगता है। सतीश शर्मा
ReplyDeleteयह ब़ामहण बाद नहीहै यह असली भी नहीं है यह सब हमारे धर्म ग्रंथों में छेड़छाड़ करके बनाया हुआ है। हमारे धर्म में जाति व्यवस्था नही थी वर्ण व्यवस्था थी जो कर्म के अनुसार की जाती थी जैसा कर्म वैसा वर्ण।
ReplyDeleteहमारा धर्म भी हिन्दू नही सनातन है देश भारत है मुख्य भाषा संस्कृति है।यह सब षड्यंत्र के द्वारा बदल दिया गया है ताकि हमारे को अपना ज्ञान हीनहो।
जिसका फायदा उठा कर आप सभी को बरगला रहे हो। अगर आप भारतीय हो तो ऐसी बातें करना बंद करो ताकि समाज में बिघटन नहो।
हास्यास्पद औरश्रकुछ नहीं
ReplyDeleteलेखक को और टिप्पणी में समर्थन करने वाले माधरचोदों की बुद्धि पर तरस आता है।
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