महाभारत आदीपर्व : सेक्स कि मजेदार कथाएं
मैने बचपन से सुना था कि महाभारत मे काफी ज्ञान विज्ञान तत्वज्ञान राजनैतिक ज्ञान है.
महाभारत का ज्ञान विज्ञान तत्वज्ञान जानने के लिए मैने महाभारत पढना शुरु किया तो इसके आदिपर्व मे मुझे प्रमुख पात्रो कि जन्म कथायें मिली
जो इस प्रकार से है.
#दुष्यंत_और_शकुंतला
महाभारत कि शुरवात राजा भरत से होती प्रतीत होती है.
एक बार राजा दुष्यंत शिकार के लिए वन मे गये. पास हि कण्व ऋषी का आश्रम देख कर वहा चले गए. वहा ऋषी तो नही थे परंतु एक सुंदर लडकी थी. उसे देख कर राजा उस पर लट्टु हो गया. कहने लगा ऐसे खुसट ऋषी तुम्हारे पिता नही हो सकते. इसपर शकुंतला उसे बताती है मेरे पिता तो विश्वमित्र थे, जिनकी तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने मेनका अप्सरा को भेजा
मेनका और विश्वमित्र के सेक्स से एक लडकी का जन्म हुआ. जिसे नदी के किनारे फेक कर तपस्या भंग करने का काम पुरा होने के कारण वह वापस इंद्र के पास चली गयी.
उस लावारीस बच्ची को शकुंतो नामक पक्षीओ ने पाला इसलिए वो शकुंतला कहलाई.
मै वही शकुंतला हु जिसे अब कण्व ऋषी ने पुत्री बना कर यहां आश्रम मे रखा हुआ है.
राजा दुष्यंत कि शकुंतला के साथ सेक्स करने कि इच्छा होती है. शकुंतला इस शर्त पर तयार हो जाती है कि उसके गर्भ से उत्पन्न पुरुष हि राज्य का उत्तराधिकारी होगा.
कामातुर राजा शर्त मान लेता है और शकुंतला गर्भवती हो जाती है.
कण्व ऋषी को भी समाधी लगाकर पता चल जाता है कि उसके आश्रम मे क्या हुआ था.
समय पुरा होने पर शकुंतला को एक बेटा होता है, जिसका नाम सर्वदमन रखा जाता है.
लेकिन राजा दुष्यंत दोनो को स्विकार करने से इंकार कर देता है.
(देखे महाभारत आदिपर्व 74)
लेकिन जब आकाशवाणी होती है कि राजन ये तुम्हारा हि बेटा है तम तब राजा उन दोनो को स्विकार करता है और राजा बेटे सर्वदमन का नाम 'भरत' रखता है.
#शांतनु
फिर महाभारत कि कथा आगे बढती है भरत के वंश मे आगे शांतनु हुआ.
राजा शांतनु एक बार शिकार के लिए गया. वहा उसने गंगा नामक स्त्री को देखा. राजा शांतनु कि उसके साथ सेक्स करने कि इच्छा हुई.
दोनो के शारीरीक संबंध से गंगा को एक के बाद एक 7 पुत्र होते है. गंगा हर बच्चे को जन्म के बाद मार देती है. जब वह 8 वे बच्चे को भी मारने लगी तब राजा ने उसे रोका और गंगा उसे छोड कर चली गयी.
इस 8 वे पुत्र का नाम देवव्रत रखा गया.
जब वह जवान हुआ तब राजा शांतनु फिर से कामातुर हो गया. उसने एक मल्लाह कि पुत्री(सत्यवती) देखी जिसके साथ सेक्स करने कि इच्छा हुई.
सत्यवती का पिता विवाह के लिए शर्त रखता है कि इसी का पुत्र राजगद्दी पर बैठे.
शांतनु का जवान बेटा देवव्रत भी प्रतिज्ञा करके देता है मेरा पुत्र आगे चल कर राज्य ना छिने इसलिए मै शादी नही करुंगा.
इस भीषण प्रतिज्ञा के कारण उसका नाम भिष्म पडा.
#विचित्रविर्य
शांतनु को सत्यवती से चित्रागंद और विचित्रविर्य नाम के पुत्र हुये.
पहला गंधर्व के हाथ से मारा जाने के कारण विचित्रविर्य राजा बना.
विचित्रविर्य के लिए भिष्म काशिराज कि पुत्रीयां जबरन उठा लाया.
7 साल बाद विचित्रविर्य कि मृत्यू हो गयी लेकिन तिनों राणियों को कोई पुत्र नही हुआ.
भिष्म सत्यवती को सहाल देता है कि किसी ब्राह्मण को बुला कर उसे धन दो ताकी वो नियोग के द्वारा विचित्रविर्य के पत्नीओं से गर्भ उत्पन्न करे.
(देखे महाभारत आदिपर्व 104)
#सत्यवती_और_पराशर
भिष्म कि बात को सुन कर सत्यवती उसे कहती है किसी और को बुलाने कि जरुरत नही. वह उसे शादी से पहले हुये पुत्र कि बात बताती है जो पराशर ऋषी के साथ नाव मे सेक्स करने पर हुआ था.
संक्षिप्त कथा इस प्रकार है कि नाव मे पराशर को सत्यवती के साथ सेक्स करने कि इच्छा होती है.
सत्यवती पहले मना कर देती है लेकिन पराशर ऋषी उसे वरदान देते है कि उसकी योनी फिर से पहले जैसी हो जायेगी.
तब सत्यवती सेक्स के लिए तयार होती है इससे दोनो को व्यास नामक पुत्र होता है.
#व्यास_द्वारा_नियोग
माता सत्यवती के कहने पर व्यास नियोग के लिए आता है
पहले उसने अंबिका के साथ नियोग किया लेकिन डर के मार उसने नियोग के समय आंखे बंद करने के कारण व्यास ने कहा कि पुत्र गुणवान तो होगो लेकिन अंधा होगा.
(आदिपर्व 104/17)
फिर उसने अंबालिका के साथ नियोग किया लेकिन वो भी व्यास देखकर नियोग के समय डरकर पिली हो गयी.
व्यासने कहा पुत्र गुणवान होगा लेकिन उसे पीलिया होगा.
सत्यवती ने व्यास को फिर से अंबिका के साथ नियोग करने के लिए कहा.
लेकिन उसने अपनी दासी को आभुषण पहनाकर बैठा दिया.
दासी से जन्मा तिसरा पुत्र विदुर कहलाया.
#कुंती_और_सुर्य
महाभारत कि कथा फिर आगे बढती है जिसके बारे मे ज्यादातर लोग जानते ही है.
गांधारी को 100 घडे मे मांस के तुकडे और घी रखने से 2 साल बाद 100 पुत्र मिलते है (आदिपर्व 114) और कुंती 5 अलग अलग पुरुषो के साथ सेक्स करके 5 पांडवो को जन्म देती है.
(आदिपर्व 122)
लेकिन उससे पहले आदिपर्व 110 मे शादी से पहले कुंती और सूर्य के सेक्स का उल्लेख है.
कुंती ने दुर्वासा ऋषी के वरदान को परखने के लिए सुर्य को बुलाया.
सुर्य कहने लगा मेरे साथ समागम करो. कुंती बदनामी के कारण मना कर देती है लेकिन सुर्य उसे कहता है तुम्हे कोई दोष नही लगेगा तुम कन्या हि बने रहोगी.
उसके बाद सेक्स करने पर कुंती ने कर्ण को जन्म दिया.
(आदिपर्व 110)
#कृपाचार्य
फिर महाभारत कि कथा और आगे बढती है.
आगे कृपाचार्य के जन्म कि कथा है.
शरद्वान गोतम जब तप कर रहा था तब इंद्र ने उसकी तपस्या भंग करने के लिए जानपदी अप्सरा को भेजा.
जानपदी का सौंदर्य देखकर शरद्वान गोतम का विर्य स्खलित हो गया और वह सरकंडे के पौधों पर गिरा.
वह विर्य दो भागो मे बट गया जिससे कृप नामक लडका और कृपी नामक लडकी हुई
(आदिपर्व 129)
#द्रोणाचार्य
फिर आगे द्रोणाचार्य के जन्म कि कथा है.
कथा के अनुसार भारद्वाज ऋषी गंगा के किनारे स्नान करने के लिए गये.
वहा घृताची अप्सरा स्नान करके कपडे पहन रही थी. उसका वस्त्र थोडा निचे खिसक गया, उसे देखते है भारद्वाज का विर्य स्खलित हो गया.
विर्य द्रोण मे गिरने से बालक का नाम द्रोणाचार्य हुआ.
वैसे इस भारद्वाज के बारे मे बता दे कि वो ममता और उतथ्य का पुत्र था.
जब ममता गर्भवती थी तब उतथ्य का छोटा भाई बृहस्पती ने ममता के साथ जबरदस्ती सेक्स किया था.
इसलिए उस पुत्र का नाम भारद्वाज पडा. द्वाज(यानी दोनो का पुत्र)
नोट : गिताप्रेस के आदिपर्व 104 मे पहले ये कथा उपलब्ध थी लेकीन नये संस्करणो से गिताप्रेस वालो ने ये कथा हटा दी है.
आर्य समाजी मनसाराम शास्त्री ने 'पौराणिक पोल प्रकाश पृष्ठ 134 पर आदी पर्व 104 का संदर्भ देकर ममता बृहस्पती कि कथा का उल्लेख किया है.
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तो ये थी महाभारत के आदिपर्व कि मजेदार सेक्स कथाएं
वैसे महाभारत के अन्य पर्वो मे भी ऐसी बहोत सारी कथाएं है.
लेकिन लेख लंबा हो जायेगा इसलिए हमने केवल आदिपर्व कि कथाओ का उल्लेख किया है
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ReplyDeleteDeko braman videsi he Or jab bharat aye to keval jents aaye un logo n yaha k nivasiyo se ladkiyo se pariwar badhaya isliye unki najar me beti unko beti nhi myl niwasinajar aayi isliye un logo n unke sath bi sex kiya.
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