क्या शंबुक वध कि कथा मिलावटी है ?




शंबुक वध कि कथा लगभग सभी जागृत बहुजन जानते है यहा तक राम के नाम से अपनी दुकान चलाने वालो को भी यह कथा अच्छी तरह से पता है.
इसलिए हम लेख मे वाल्मिकी रामायण मे आये शंबुक वध कि  विस्तार से चर्चा ना करके उसपर लिपापोती करने वालो को जवाब देने वाले है.
लेकिन लेख का संतुलन बना रहे इसलिए हम संक्षिप्त मे शंबुक वध कि कथा का उल्लेख करते है.

वाल्मिकी रामायण के अनुसार
रामराज्य मे एक ब्राह्मण बालक कि मृत्यू हो जाती है
ब्राह्मण अपने बालक के मृत्यू का सारा दोष राम को देता है.
तब वही बैठा नारद कहता है कि शुद्र को तपस्या करने का अधिकार नही है. निश्चित हि आपके राज्य मे कोई शुद्र तपस्या कर रहा है.  तब राम उस शुद्र को ढुंढ  कर उसका वध कर देता है.

जिज्ञासु पाठक अगर शंबुक वध को विस्तार से जानना चाहते है तो वाल्मिकी रामायण उत्तरकांड  73,74,75,76 पढे

फिलहाल हम बात करते है संघी मनुवादी,दयानंदी,कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहितो कि जो इस कथा को नकारने के लिए तरह तरह के हतकंडे अपनाते है.
क्योंकी राम के नाम से संघीओ कि राजनिती चलती है, कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहितो का पेट चलता है.
दयानंदीओ ने अपनी अलग दुकान खोलकर रखी है.

21 वी सदी का कोई आधुनिक मानव बर्दाश नही कर सकता कि उसके महापुरुष ने शुद्र का वध सिर्फ इसलिए कर दिया क्योंकी वो तपस्या कर रहा था.

इसलिए संघी मनुवादी,दयानंदी, कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहित राम कि चमडी बचाने मे लगे हुये है. ताकी हिंदु समाज को सच्चाई पता ना चले.


#दयानंदी_कुतर्क

दयानंदी राम कि चमडी(अपनी दुकानदारी) बचाने के लिए पुरे उत्तरकांड को प्रक्षिप्त घोषीत कर देते है.
दयानंदी पंडा विद्यानंद सरस्वती अपने एक लेख मे कहता है

राम पर यह मिथ्या आऱोप महर्षि वाल्मीकि ने नहीं उत्तरकाण्ड की रचना करके वाल्मीकि रामायण में उसका प्रक्षेप करने वाले ने लगाया है

समिक्षा : ये प्रक्षेप किसने और किस कालखंड मे किया ?
जब ये प्रक्षेप हो रहा था तब क्या एक भी राम भक्त नही था भारत मे जो इस प्रक्षेप का विरोध करे ?
जाहिर सी बात है कि 21 वी सदी मे बहुजन जागृत होने कारण आपको हर विवादित बात प्रक्षेप लगती है

एक और दयानंदी पंडा राहुल आर्य ने तो झुठ कि हद हि पार कर दि
राहुल आर्य के अनुसार उत्तर कांड कि मिलावट पिछले 150-200 साल मे हि हुई है.
भला इतना बडा झुठ बोलते हुये इस लालबुजक्कड भांड गवारगंड चुतड दयानंदी को तनिक भी लज्जा नही आती.

असल मे उत्तरकांड कि बहोत सारी घटनाओ का उल्लेख अन्य प्राचिन ग्रंथो मे भी है
जैसे कि अभिषेक,नाटक,प्रतिमा नाटक,रघुवंश महाकाव्य,जैन रामायण इत्यादी.

तो क्या इन सब ग्रंथो मे भी पिछले 100 सालो मे मिलावट हुई है ?

शुद्रो का प्राचिन इतिहास पुस्तक मे रामशरण शर्मा लिखते है

कालिदास ने रामायण मे किये गये शुद्र तपस्वी के निदंन को दुहराया है.
राम ने जो शंबुक को प्राणदंड दिया इसकी उन्होंने प्रशंसा कि है, और बताया है कि इस मृत्युदंड के परीणाम स्वरुप उसने जो पुण्यात्माओ का पद प्राप्त किया उसे वह अपनी उग्र तपस्या से नहीं पा सकता था क्योंकी तपस्या तो वह अपने वर्ण धर्म के विरुद्ध कर रहा था.



शुद्रो का प्राचिन इतिहास पृष्ठ 251

कोई ये ना कहे कि कम्युनिस्ट इतिहासकार ने हिंदुओ बदनाम करने के लिए गलत जानकारी दि है इसलिए हमने कालिदास के मुल रघुवंश महाकाव्य का संदर्भ भी जोडा है.

रघुवंश के अनुसार भी ब्राह्मण के कहने पर राम ने तपस्या कर रहे शुद्र शंबुक का वध किया था.


निचे के सभी ss  देखे






(संदर्भ : कालिदासप्रणित रघुवंश-महाकाव्य, सर्ग 15,  अनुवाद टिका ज्वालाप्रसाद मिश्र )

कालिदास का कालखंड निश्चित नही है लेकिन उसे 450 ईसवी के पहले का हि माना जाता है

जाहिर सी बात है कि शंबुक वध कि कथा प्राचिन कालसे ही प्रचलित है

#जैन_रामायण

जैन रामायण(पउमचरियं) मे भी शंबुक वध का उल्लेख है
जैन रामायण के अनुसार  शंबुक ने सुर्यहास खंग कि सिद्धी के लिए 12 वर्ष तक साधना कि और खंग प्रकट हुआ. संयोग से लक्ष्मण वहा पहुंच जाता है और वह खंग को उठाता है. वह पास के बांस को काटकर शंबुक का सिर भी भी काट देता है.


रामायण या सितायण,सुरेंद्र अज्ञात,पृष्ठ 187

जैन रामायणात और वाल्मिकी रामायण मे शंबुक वध पर बस इतना हि अंतर है कि जैन रामायण के अनुसार शंबुक का वध लक्ष्मण ने किया था.

जैन रामायण वाल्मिकी रामायण के कालखंड के आस-पास कि हि रचना है. इससे ये साबित होता है कि वाल्मिकी रामायण शंबुक वध कि कथा मिलावटी नही है बल्की मुल वाल्मिकी  रामायण कि ही कथा है.

#पद्म_पुराण 

पद्म पुराण के सृष्टी खंड मे भी शंबुक वध कि कथा विस्तार से आयी है 

और वहा भी यही लिखा है कि शुद्र शंबुक के तपस्या के कारण ब्राह्मण बालक कि मृत्यू हो जाती है इसलिए राम उस शुद्र का वध कर देते है 
(पढे संपुर्ण कथा, पद्म पुराण सृष्टीखंड, पृष्ठ 114,115,116) 




#पंडो_के_कुतर्क

कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहितो को दयानंदीओ कि तरह धुर्तता करनी नही आती और ना ही वो उत्तर कांड को प्रक्षिप्त मानते है.
कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहित राम कि चमडी बचाने के लिए शंबुक के चरित्र पर हि सवाल खडा कर देते है.

कोई कहता है कि वो पाखंडी था कोई कहता है कि वो स्वर्ग लोकं कि स्त्रीयों को भोगना चाहता था इत्यादी.

असल मे किसी भी श्लोक मे शंबुक को पाखंडी नही कहा गया है और ना ही यह कहा गया है कि वो स्वर्ग लोकं कि स्त्रीयों को भोगना चाहता था.
उसे महान तप करने वाला तपस्वी कहा गया है.
कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहित ये बात अच्छी तरह से जानते है कि भोले भाले लोगो ने रामायण पढी नही होती. इसलिए वो राम कि चमडी बचाने के लिए जितना चाहे उतना झुठ बोल सकते है.

लेकिन जब तक हमारे जैसे बुद्धीवादी लोग भारत मे है तब तक वो अपने षडयंत्र मे पुरी तरह से कामयाब नही हो सकते

#क्या_आपके_पुर्वज_मुर्ख_थे

हमने उपर ही सिद्ध कर दिया है कि शंबुक वध कि कथा प्राचिन कालसे ही प्रचलित है.
अब सवाल ये है कि बहुजन जागृत होने के बाद आधुनिक काल मे धर्म के ठेकेदारो को  ये कथा मिलावटी क्यों लग रही है ?
क्या इतिहास मे कोई ऐसा राम भक्त नही था जो शंबुक वध कि कथा का विरोध करे या उसे मिलावटी घोषीत करे जैसे दयानंदी करते है ? जब आपके ग्रंथो मे मिलावट हो रही थी तब आपके पुर्वज क्या कर रहे थे ?
जाहिर सी बात इस कथा को प्राचिन काल से अब तक किसी ने प्रक्षिप्त नही माना है.

#रामराज्य_कहा_से_आयेगा

उत्तरकांड को मिलावटी मानने पर धार्मिक लोगों को एक विरोधाभास का सामना करना पडेगा.
क्योंकी धार्मिक लोग देश मे रामराज्य लाना चाहते है.

ध्यान रहे बालकांड मे दशरथ का शासन है बाकी कांड मे 14 साल का वनवास और राम रावण के युद्ध का वर्णन है.
जब रावण वध के बाद राम अयोध्या लौटते है तब उनका शासन शुरु होता.
और उनके शासनकाल का उल्लेख उत्तरकांड मे है.
अब अगर उत्तरकांड को हि नकार दिया तो रामराज्य संकल्पना भी नकारनी होगी.
रामराज्य संकल्पना का इतना प्रसिद्ध होना इस बात का प्रमाण है कि उत्तरकांड को कभी किसी ने प्रक्षिप्त नही माना है

असल मे राम ने शुद्र शंबुककी कि जो हत्या कि थी वो बिलकुल धर्मानुकुल है क्योंकी वर्ण व्यवस्था के अनुसार शुद्र को केवल उपर के तिन वर्णो कि सेवा करनी चाहिए.

ब्राह्मणो को भी इस कथा कि रचना करके हिंदु राजाओ को यही शिक्षा देनी थी कि जो शुद्र अपने सेवा धर्म को भुलता है उसे मृत्यूदंड देना चाहिये. यही आदर्श राजा का लक्षण है.

#काल्पनिक_कथा_का_विरोध_क्यों

बहोत सारे धार्मिक लोग बुद्धीवादी लोगों पर आक्षेप करते है कि आप रामायण और राम को काल्पनिक मानते हो तो शंबुक वध का विरोध क्यों करते हो ?

इसका जवाब ये है कि जब 90s कि फिल्मे बनती थी तब उसमे काफी हत्या,लुट-पाट,बलात्कार,गुंडागर्दी,भ्रष्टाचार कि घटनाये दिखायी जाती थी तो क्या हम कह सकते है कि फिल्म काल्पनिक है इसका मतलब ऐसी घटनाये 90s मे होती हि नही थी ?

फिल्मीकथा,गित,कविता,नाटक,धर्मग्रंथ ये सब तात्कालिक समाज के आयीने होते है.
भले हि उसमे पात्र काल्पनिक हो लेकिन लिखने वाले ने आस-पास के घटनाओ को देखकर हि रचना कि होती है.

शंबुक वध कि कथा जिस कालखंड मे लिखी गयी थी तब शुद्रो कि स्थिती कितनी दयनीय रही होगी और क्षत्रिय राजा किस तरह से ब्राह्मणवाद के गुलाम बन गये थे इसकी जानकारी हमे मिलती है.

दुसरी बात ये है कि भोले भाले हिंदु राम को काल्पनिक नही मानते. (जिसमे 85% sc st obc है)
ऐसे भोले भाले हिंदुओ को मुर्ख बना कर ही संघी मनुवादी,दयानंदी, कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहित इनकी दुकाने चल रही है.
अगर हम राम का वास्तविक चरित्र बताकर 85% sc st obc को जागृत कर रहे है तो इसमे गलत क्या है ?
जिस दिन 85% sc st obc को राम का असली चरित्र पता चल जायेगा उस दिन संघी मनुवादी,दयानंदी, कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहित सबकी दुकाने बंद हो जायेगी.

ऐसा ना हो इसलिए धर्म के ठेकेदार राम कि चमडी बचाने के लिए तरह तरह के हतकंडे अपनाते है.

अंतः ये सिद्ध है कि शंबुक वध कि कथा को प्रक्षिप्त मिलावटी घोषीत करके राम कि चमडी बचाने कि कोशिश करना संघी मनुवादी,दयानंदी,कथा वाचक बाबा पंडे पुरोहितो द्वारा अपनी रोजी रोटी बचाने कि कोशिश करने जैसा है 

Comments

  1. #रामायण से पता चला कि #निषादराज_गुह और #श्रीराम एक साथ एक ही गुरुकुल में पढ़े थे एक ही गुरु से। दूसरा यह कि वो एक राज्य के राजा भी थे। इसका अर्थ है कि

    ● शूद्रों को पढ़ाई का अधिकार था।
    ● उसी जगह पढ़ाई का अधिकार था जहां अन्य वर्ण के लोग पढ़ते थे।
    ● उसी गुरु से पढ़ने का अधिकार था जिससे अन्य पढ़ते थे
    ● शूद्रों को राजकाज चलाने का भी अधिकार था। शुद्र वर्ण के लोग भी राजा बन सकते थे।

    और इन दुष्ट वामपंथियों ने इतिहास लिखते समय ये लिख दिया कि सनातन धर्म में शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नही था।

    #वामपंथी #PUCHHATAHINDU


    इस विषय पर भी जरा विश्लेषण करें

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    1. कोई अभिलेख पेश करे कृपया

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