महाभारत ब्राह्मणवाद का षडयंत्र
महाभारत एक प्रसिद्ध ग्रंथ है लेकिन इसमे लिखी बहोत सारी बाते संविधान के समानता के मुल्यो के खिलाफ है.
मनुस्मृति लिखने वाले मनु को भी शर्म आ जाये ऐसे श्लोक हमे महाभारत मे देखने को मिलते है.
महाभारत का अनुशासन पर्व अध्याय 33,34,35 पुरे ब्राह्मणो कि प्रशंसा से भरे है उस मे से कुछ श्लोक का उल्लेख यहा करते है.
अध्याय 33 के अनुसार
राजा का मुख्य कर्तव्य है कि वो ब्राह्मणो कि सेवा करे. सुख कि इच्छा रखने वाले राजा को यही करना चाहिए (श्लोक 2)
राजा के लिए ब्राह्मण पिता समान पूजनीय वंदनीय और माननीय है(श्लोक 7)
बडे बडे साहसी भी इनसे भय मानते है क्योंकी इनके भितर गुण अधिक होते है(श्लोक 10)
अनेक क्षत्रिय जातींया ब्राह्मणो कि कृपा दृष्टी न मिलने से शुद्र हो गयी(श्लोक 22)
ब्राह्मणो से हार मान लेने मे हि कल्याण है उन्हें हराना अच्छा नही है(श्लोक 23)
जो संपूर्ण जगत् को मार डाले तथा ब्राह्मण का वध करे उन दोनो का पाप समान हि है. महर्षीयोंका कहना है कि ब्रह्महत्या महान दोष है(श्लोक 24)
ब्राह्मणो कि निंदा कभी नही सुननी चाहिए जहा उनकी निंदा होती है वहा से चला जाना चाहिए(श्लोक 25)
इस पृथ्वी पर ऐसा कोई मनुष्य न तो पैदा हुआ है न होगा जो ब्राह्मणो का विरोध करके सुखपुर्वक जिवित रहने का साहस करे (श्लोक 26)
हवा को मुठ्ठी मे पकडना,चंद्रमा को हात से छुना,पृथ्वी को उठाना अत्यंत कठिन काम है,उसी तरह ब्राह्मणो को जितना अत्यंत दुष्कर है (श्लोक 27)
अब अध्याय 34 के कुछ श्लोक देखे
राजा उत्तम भोग आभुषण तथा मनोवान्छित पदार्थ देकर नमस्कार आदि करके ब्राह्मणो कि पुजा करे और पिता के समान उनके पालन पोषण का ध्यान दे(श्लोक 2)
ब्राह्मणो को जो कुछ अर्पित किया जाता है उसे देवता ग्रहण करते है क्योंकी ब्राह्मण समस्त प्राणीओ के पिता है उनसे बढकर कोई दुसरा प्राणी नही(श्लोक 5)
मनुष्यों को ब्राह्मणो कि सेवा करनी चाहिए, यही सबसे पवित्र और उत्तम कार्य है. ब्राह्मणो कि सेवा करने से रजोगुण नष्ट हो जाता है,इसी से उत्तम बुद्धी भी प्राप्त होती है(श्लोक 22)
अध्याय 35 के कुछ श्लोक देखे
ब्राह्मणो का विरोध करके भुमंडल का राज्य नही चलाया जा सकता, क्योंकी महात्मा ब्राह्मण देवताओ के भी देवता है(श्लोक 21)
यदि राजा को समुद्रपर्यंत पृथ्वी का राज्य भोगना है तो दान और सेवा के द्वारा सदा ब्राह्मणो कि पुजा करनी चाहिए (श्लोक 22)
(देखे 👉 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 33,34,35)
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Sc st obc के साथ साथ तथाकथित क्षत्रियों से भी मेरा सवाल है कि यदि आप खुदको को हिंदु मानते हो तो महाभारत के इन अध्यायों से आप सहमत हो या नही.
अगर आप हिंदु हो तो आपको महाभारत के इस उपदेश को फौलो करना चाहिए
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