बामनवाद के जाल में फंसे हुए शिवाजी




बामन धर्म में बामनो द्वारा राजा महाराजाओं की किस तरह से आर्थिक लूट की जाती थी ये इतिहास किसी से छुपा नहीं है, 

बामन धर्म के इस जाल से महाराष्ट्र के शिवाजी महाराज भी नहीं बच पाए। 


यदुनाथ सरकार अपनी शिवाजी नामक किताब में शिवाजी के राज्याभिषेक के बारे में लिखते है 


गागाभट को बहुत सारे पैसे मिलने के बाद उसने शिवाजी जो क्षत्रिय मान्यता दे दी, महाराष्ट्र के बामनों ने भी दान दक्षिणा के लालच से शिवाजी को क्षत्रिय में लिया 

(शिवाजी के पूर्वज चित्तौड़ के महाराणा थे ऎसा गागाभट ने रिश्वत लेकर लिखित देने पर) 



फिर राज्याभिषेक के लिए देश के अलग अलग प्रांतों के बामनो को आमन्त्रित किया गया, जिसमें 11 हजार बामन (पत्नियों और पुत्रो को साथ 50 हजार) उपस्थित हुए।



वो हजारों बामन 4 महीने तक शिवाजी के खर्चे से भोजन करते रहे। 




ध्यान रहे इसमें आमन्त्रित केवल बामनों को किया गया था वैश्य शूद्र अछूत किसी प्रकार का उल्लेख नहीं है, 


उसके बाद बहुत सारे विधि होने के बाद गागा भट को 35 हजार रूपए और बाकी बामनों को 20-25 हजार रूपए दिए गए। 


दूसरे दिन शिवाजी ने अपने वजन जितना सोना चांदी वस्त्र और 5 लाख रूपए बामनों को दान किए। 

दूसरे प्रदेशों की लूट करते समय मारे गए गौ बामन बच्चे स्त्रियां इस पाप के प्रयच्छित के लिए भी बामनों को 8 हजार रूपए दान किए। 




फिर गंगाजल से स्नान करके शिवाजी ने गागा भट को 25 हजार और अन्य बामनों को 500-500 रूपए दिए। 


उसके बाद 16 बामन स्त्रियों ने शिवाजी के चारों ओर खड़ी होकर आरती की 


(16 में से कोई भी स्त्री वैश्य शूद्र अछूत नहीं थी ) 



उसके बाद भी कुछ विधि होते है उसमे भी बामनों को दान दक्षिणा दी जाती है, 



फिर सभी बामनों ने उच्च स्वर में श्लोक बोलकर राजा को आशीर्वाद दिया, 

शिवाजी ने सुर झुकाकर उनका आशीर्वाद स्वीकार किया। 


फिर दूसरे दिन राज्याभिषेक के लिए उपस्थित रहे सभी बामनों को 3 से 5 रूपए तक की दक्षिणा दी गई 

(3 से 5 रूपए भी उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा) 




राज्याभिषेक में बामनों पर किए गए खर्चे से शिवाजी का पूरा राजकोष खाली हो गया था, जिसकी भरपाई के लिए शिवाजी को अलग अलग जगह जाकर लूट करनी पड़ी थी।


तो ये था शिवाजी के राज्याभिषेक का संक्षिप्त वर्णन 


  


शिवाजी, पृष्ठ 104,106,107,108 


//////////////////////


तो इस तरह से हम देखते है की बामन के हाथ से राज्याभिषेक करना चाहिए उसे दान दक्षिणा देनी चाहिए,  हजारों बामानो को भोजन खिलाना चाहिए उनको दान दक्षिणा देनी चाहिए इस सामाजिक मान्यता से एक राजा को अपना इतना सारा धन बरबाद करना पड़ा था, 

इस तरह से हम देखते है इतिहास के सभी राजा महाराजा बामनवाद के मानसिक गुलाम थे। 


राजा महाराजाओं के इस मानसिक गुलामी की जड़ मनुस्मृति में है

Comments

Popular posts from this blog

सीता के सुडौल स्तन और जांघें 👉 रामायण में

महाभारत आदीपर्व : सेक्स कि मजेदार कथाएं

ब्रह्माने खुदकी बेटी पर बलात्कार करने के प्रमाण अलग-अलग ग्रंथो से