बामनो का व्याभिचारी और बलात्कारी चरित्र 



 विदेशी बामन अपने-आप को श्रेष्ठ और संस्कारी मानते है, कोई कहता है वो महान कर्मो के कारण श्रेष्ठ हुये, कोई कहता है वो सात्विक आहार से श्रेष्ठ हुये. ये लोग अपने आप बडा हि चरित्रवान मानते है, 

इसलिए हम इस लेख के माध्यम से बामन चरित्र कि समिक्षा करने वाले है, 

आप इस लेख को संक्षिप्त बामन चरित्रमानस् भी कह सकते है. 

बामन पराशर 

महाभारत आदिपर्व मे सत्यवती अपने साथ विवाह से पहले हुई एक घटना भिष्म को बताती है 

वह कहती है, एक दिन मैं नाव पर गई हुई थी. उन दिनो मे जवान थी. यमुन नदी पार कर के महर्षी पराशर मेरी नाव पर आ गये और मुझे देखकर काम पिडित हो गए. 

यदि संभोग न करती तो ऋषी शाप दे सकता था. 

उन्होंने अपनी योगशक्ती से अंधेरा कर दिया और मुझे अपने वश मे कर लिया. ऋषि ने मुझे वरदान दिया कि इस संभोग के परिणामस्वरुप तुम बच्चे को जन्म देकर फिर से कन्या बन जाओगी तुम्हारी योनी की झिल्ली पहले जैसी हो जाएगी. 

(महाभारत आदिपर्व 104)




बामन शंकराचार्य 

आदि शंकराचार्य के बारे मे शंकर दिग्विजय मे है कि जब उसने मंडन मिश्र को शास्त्रार्थ मे हराया था तब उसकी पत्नी ने शंकराचार्य  कामशास्त्र पर शास्त्रार्थ के लिए आव्हान दिया. 

कामशास्त्र कि जानकारी न होने के कारण शंकराचार्य भारती से एक महिने का समय मांगते है. 

 उनके बाद आता है कि एक राजा मर गया था, शंकर ने अपने शव को गुफा मे रखकर स्वयं उस राजा के शरीर मे प्रवेश किया, जिससे वह राजा जिंदा हो गया, अब उसमे प्रविष्ट होकर शंकर ने सारे भोग भोगे और राजा कि सौ रानियों के साथ काम(सेक्स) का व्यवहारीक अभ्यास किया.

कोई कहेगा कि शंकराचार्य ने ये सब कामशास्त्र पर शास्त्रार्थ करने के लिए  किया था, 

लेकिन क्या कामशास्त्र पर जानकारी पढकर नही मिल सकती थी ? 

दुसरे के शरीर मे प्रवेश करके उसकी पत्नीओ के साथ सेक्स करना तो व्याभिचार हि है.

भले हि ये सब कथा काल्पनिक हो लेकिन दुसरो कि सौ राणियों के साथ सेक्स करनी कि कथा जिस बामन के नाम पर है उसे जगत गुरु कहकर प्रचारित किया जाता है.

इसलिए आक्षेप करना जरुरी है.




बामन बृहस्पती 

महाभारत मे बृहस्पती और ममता कि कथा आती है. 

ममता बृहस्पती के बडे भाई कि पत्नी थी. 

 ममता के मना करने पर भी बामन बृहस्पती ने उसके साथ जबरदस्ती सेक्स यानी बलात्कार किया था. 

(इस कथा पर हम अलग लेख लिखने वाले है इसलिए यहा संक्षिप्त मे बताया गया है, जिज्ञासु पाठक निचे के ss मे संपुर्ण कथा देख सकते है) 

संपुर्ण कथा पढे निचे के ss मे




(नोट : गिताप्रेस वालो ने आदिपर्व 104 से ये कथा हटा दि है, भांडारकर इंस्टिट्युट पुणे के आदिपर्व 98 मे ये कथा उपलब्ध है)


बामन भारद्वाज 

महाभारत मे भारद्वाज ऋषी कि एक कथा आती है, जिसमे घृताची अप्सरा को देखकर उनका विर्य स्खलित हुआ था 

ऋषि भरद्वाज गंगातट पर तप करते थे , बहुत कठिन व्रतों का पालन और अनेक यज्ञों का अनुष्ठान करते थे . वे स्नान करने के लिए सुबह ही गंगा तट पर गए . वहां घृताची नामक अप्सरा स्नान कर के वस्त्र बदल रही थी . उस का वस्त्र थोड़ा सा खिसक गया . उसे देखते ही हमारे ऋषि पुंगव का वीर्यपात हो गया . उस ने उसे द्रोण ( यज्ञकलश ) में रख लिया . उस द्रोण में रखे वीर्य से एक लड़का पैदा हो गया , जिसे ' द्रोण ' ही नाम दे दिया गया .




सुदर्शन कि कथा 

महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 2 मे सुदर्शन कि कथा आती है, 

कथा के अनुसार सुदर्शन के घर आये बामन अतिथी ने सुदर्शन कि पत्नी के साथ संभोग कि इच्छा प्रकट कि, 

संक्षिप्त कथा इस प्रकार है,

सुदर्शन  की अनुपस्थिति में एक ब्राह्मण अतिथि ने संभोगेच्छा प्रकट की . ओघवती ( सुदर्शन की पत्नी का नाम ) ने ब्राह्मण की इच्छा की पूर्ति की . सुदर्शन ऋषि घर वापस आए , और जब यह आतिथ्य - प्रकार ज्ञात हुआ तो कहा - ' आज हम धन्य हुए . ' पितामह भीष्म धर्मराज से कहते हैं कि इस सत्कृत्य के कारण सुदर्शन की कीर्ति त्रिभुवन में फैल गई और उसे इंद्रलोक प्राप्त हुआ



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वैसे ये सारी कथाएं गरीब बामनो ने लिखी है इसलिए उन्होंने ऐसी कथाओ मे खुदको जाॅनी सिन का पात्र बना लिया है


श्वेतकेतु कि कथा

महाभारत आदिपर्व 122 मे है कि एक बामन ने ऋषी उद्दालक के पत्नी के साथ जबरदस्ती सेक्स करनी कि कोशिश कि थी. 

कथा के अनुसार 

एक ऋषि थे , नाम था उद्दालक । उनका श्वेतकेतु नामक एक पुत्र था । एक समय उद्दालक , उनकी पत्नी और श्वेतकेतु  तीनों एक ही साथ बैठे थे । इतने ही में एक ब्राह्मण आया और श्वेतकेतु की माँ का हाथ पकड़कर कहा , " युवती , मेरे साथ चलो , " और उसको लेकर चल दिया । इससे श्वेतकेतु का बड़ा क्रोध आया । श्वेतकेतु को कुपित देखकर उनके पिता उद्दालक ने कहा , " बेटा , क्रोध न करो । अत्यंत प्राचिन काल से यह धर्म चला आ रहा है (आदिपर्व 122)



याने कि शादीशुदा औरत के साथ अगर बामन जबरदस्ती सेक्स करे तो महाभारत के अनुसार ये धर्म का लक्षण है


बर्नियर कि यात्रा 

मंदिरो के बलात्कारी बामनो पर मध्यकालीन यात्री बर्नियर लिखता है .

जगन्नाथ पुरी के रथयात्रा के उत्सव के समय एक सुंदर कन्या का जगन्नाथ जी से विवाह किया जाता है . मुर्ती के पास बैठाकर उससे कहा जाता है कि रात को जगन्नाथ तुमसे मिलने आयेंगे और उन्हें जो आवश्यक होगा पुछ ले . रात के समय चोर दरवाजे से एक पुजारी उस मंदिर मे चला जाता है और उस कुवारी कन्या के साथ # संभोग करता है और जो चाहता है वही उस बेचारी को विश्वास करा देता है . ( बर्नियर कि भारत यात्रा , पृष्ठ 188 )




Abbe dubois कि यात्रा

Abbe dubois 18 वी सदी में भारत आया फ्रेंच यात्री था . उसने देवदासीओ के बारे मे लिखा है कि लोग उनको वेश्या कहकर पुकारते है और उनको ब्राह्मणो के उपभोग के लिए मंदिर मे रखा जाता है . ( Hindu manners , customs and ceremonies , Abbbe Dubois . Page 585 )




नंबुद्री बामन

संतराम बि.ए. अपनी पुस्तक हमारा समाज मे करेल के नंबुद्री बामनो पर लिखते है कि 

जब राजा विवाह करता है तो वह इन ब्राह्मणों में से योग्यतम और सब से प्रतिष्ठित मनुष्य को चुनता है और उसे पहली रात अपनी स्त्री के साथ सुलाता है ताकि वह उस के साथ समागम करे । यह समझिए कि ब्राह्मण यह काम प्रसन्नतापूर्वक करता है । राजा को उसे चार पांच सौ डोकट ( एक मुद्रा ) देने पड़ते हैं । " - Voyage of Varthema , Vol . I , 14 .




इसी पुस्तक मे वो लिखते है, 


मलाबार की उन्नितिरी जाति में प्रथा है कि यदि किसी लड़की को नम्बूद्री ब्राह्मण अपनी स्त्री न बनाए तो उस का विवाह सीधे उन्नितिरी जाति के युवक से नहीं हो सकता । उसे पहले अपने से ऊपर की तिरुविप्पाड जाति के किसी पुरुष से चार दिन के लिए विवाह करना होता है । विवाह सयानी लड़कियों का होता है और वे चार दिन - रात एक कोठरी में पुरुष के साथ रहती है , नंगी हो कर तेल की मालिश करती हैं । फिर तिरुविप्पाड़ भेंट - पूजा लेकर चला जाता है । अब उस कन्या का विवाह किसी उन्नितिरी से किया जा सकता है

हमारा समाज पृष्ठ 184,186




सुरेंद्र अज्ञात इसपर लिखते है 

नंबूदरी ब्राह्मणों ने अथर्ववेद  के मंत्रो के आधार पर मालाबार , कालीकट आदि में उनितिरी तिमूरी आदि जातियों की नारियों के साथ सुहागरात मनाने व उन के साथ विवाहित पतियों से पहले संभोग करने का अधिकार प्राप्त कर के धार्मिक व्यभिचार व धार्मिक वेश्यावृत्ति को अवश्य शुरू किया 

क्या बालु कि भित पर खडा है हिंदु धर्म, पृष्ठ 646




डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर का मत

इसी प्रथा पर डाॅ. बाबासाहेब अपनी पुस्तक प्राचिन भारत  : क्रांती और प्रतिक्रांती मे पृष्ठ 238 पर लिखते है 

जब सैमोरिन विवाह करे तब उसे तब तक अपनी पत्नी के साथ संभोग न करना चाहिए जब तक एक नंबूद्री ( नंबूद्री ब्राह्मण ) या प्रधान पुरोहित उसके साथ संभोग न कर ले और यह पुरोहित यदि चाहे तो उसके साथ तीन रात तक सहवास कर सकता है क्योंकि उस स्त्री की पहली संतान उस देवता का नैवेद्य होनी चाहिए जिसकी वह आराधना करती है । 


बंबई प्रेसीडेंसी में वैष्णव संप्रदाय के पुरोहितों ने यह दावा किया कि उन्हें उनके संप्रदाय की स्त्रियों के साथ प्रथम संभोग करने का अधिकार है । यह मामला सन् 1869 ई . में बंबई उच्च न्यायालय में करसोनदास मुलजी के विरुद्ध इस संप्रदाय के प्रधान पुरोहित द्वारा दायर किए गए महाराजा की मानहानि मुकदमे की सुनवाई के वक्त उठा था । इससे पता चलता है कि उस समय तक पहली रात का लाभ उठाने का अधिकार अमल में था ।




इस तरह से हम देखते है बामन कभी अपने कर्मो से महान नही बने उन्होंने केवल फर्जी पाखंड फैलाकर क्षत्रियो के साथ सौदा करके और उन्हें मानसिक गुलाम बनाकर समाज पर अपना वर्चस्व स्थापित किया.

इससे ये भी साफ हो जाता है कि जिस बामन धर्म को आज हिंदु आस्था के रुप मे प्रचारित किया जा रहा है वो कोई धर्म नही बल्की बामनो द्वारा अन्य वर्णो का शारीरीक मानसिक आर्थिक शोषण करने का एक माध्यम था 

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