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Showing posts from June, 2020

मनुस्मृती मे स्त्रीयों कि पुजा : वास्तव और भ्रम

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संघी मनुवादी दयानंदी कथावाचक बाबा पंडे पुरोहित जब भी अपने धर्म कि महानता बताना शुरु करते है तब ये लोग मनुस्मृति के एक श्लोक का उल्लेख जरुर करते है.  "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।।" अर्थात- जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का वास होता है, और जहाँ नारियाँ कष्ट पाती है, वहाँ समृद्धि नही होती! (मनुस्मृति 3/56)  इस श्लोक के आधार पर मनु समर्थक अपने धर्म कि महानता दिखाते है और ये साबित करने कि कोशिश करते है कि मनु स्त्री विरोधी नही था.  मनुस्मृति मे तो स्त्रीयों कि पुजा करने कि बात लिखी है.  इसलिए आज हम इस श्लोक कि सच्चाई जानने कि कोशिश करेंगे  मनुस्मृति मे स्त्रीयों के विरोध मे क्या क्या लिखा है इसका उल्लेख हम इस लेख मे नही करेंगे क्योंकी उसके बारे मे सभी जागृत बहुजन पहले से हि जानते है.  यहा हम केवल मनुस्मृति  3/56 समिक्षा करेंगे  मनुस्मृति 3/56 के उपर के  श्लोक देखने पर पता चलता है यहा प्रकरण विवाह का चल रहा है.  कन्या की प्रीति के लिए वरपक्ष वाले जो धन दें उसे कन्या ...

क्या अंग्रेजो ने मनुस्मृती मे मिलावट कि है ?

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  कालबाह्य ग्रंथो को चिपके हुए पुरातनवादी लोगों के सामने सबसे बडी समस्या ये है कि ग्रंथो को चिपके रहने कि इनकी आदत जाती नही और ग्रंथो मे जो लिखा है उसे ईमानदारी से स्विकार करने कि हिम्मत होती नही.  ऐसे मे उदय होता है प्रक्षिप्तवाद का  इनके अनुसार ग्रंथो मे आपको जो भी गलत दिख रहा है वो सब स्वार्थी लोग और मुगल अंग्रेजो द्वारा कि गयी मिलावट है.  ये पुरातनवादी लोग मनुस्मृति कि इज्जत बचाने के लिए भी यही हतकंडा अपनाते है और मनु आतंकवाद का जिम्मेदार अंग्रेजो को ठहराते है.  इसलिए आज हम इस दावे कि सच्चाई जानने कि कोशिश करेंगे  #प्राचिन_मध्यकालिन_भाष्य   मनुस्मृति पर प्राचिन मध्यकालीन 9 भाष्य उपलब्ध है. उसमे सबसे प्राचिन है 8 वी सदी का मेधातीथी भाष्य जिसमे 2671 श्लोक मिलते है.  अभी के मनुस्मृति मे 2685 श्लोक मिलते है.  चौखंबा वाराणसी से 6 और मुंबई से 9 भाष्य सहीत 2685 श्लोको कि मनुस्मृति प्रकाशित कि जाती है.  प्राचिन मध्यकालीन भाष्यकार और प्रकाशन किसी ने ये नही कहा कि विवादित श्लोक प्रक्षिप्त है.  #गिताप्रेस_गोरखपूर  गिताप्रेस ने अपनी मन...

वैदिक धर्म मे शुद्र का स्थान भाग-2

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पिछले लेख मे हमने रामशरण शर्मा कि पुस्तक 'शुद्रो का प्राचिन इतिहास के आधार पर शुद्रो कि स्थिती का वर्णन किया था.  इस लेख मे हम  बाबासाहेब आंबेडकर कि पुस्तक शुद्र कौन थे पुस्तक के आधार पर शुद्रो कि स्थिती का वर्णन करेंगे  अपनी पुस्तक के प्रकरण 3 मे उन्होंने शुद्र के स्तर और स्थिती कि चर्चा कि है.  वो लिखते है  1.कथक संहिता और मैत्रायणी संहिता मे कहा गया है जिस गाय के दुध का उपयोग अग्निहोत्र मे होता हो उसे दुहने कि आज्ञा शुद्र को न दि जाय  सतपथ ब्राह्मण और मैत्रावणी संहिता पंचविंश ब्राह्मण कहते है  यज्ञ करते समय न तो शुद्र से बात करनी चाहिए और ना उसकी उपस्थिती मे यज्ञ करना चाहिए  सतपथ ब्राह्मण और कथक संहिता मे प्रावधान है कि शुद्र को सोमपान मे शामिल नही किया जाना चाहिए.  ऐतिरेय ब्राह्मण और पंचविंश ब्राह्मण ने तो निचता कि हद हि कर दि है.  शुद्र दूसरो का दास है इसके अतिरिक्त और कुछ नही है.  2.मनुस्मृति मे कहा गया है ब्राह्मण न तो शुद्र कि राजधानी मे रहे और न ऐसे स्थान पर रहे जहां दुष्ट लोग रहते हो.  वह निच और निम्न जाती कि नगर मे भ...