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Showing posts from April, 2020

अंग्रेजो ने जंगली असभ्य सवर्णो को सभ्यता सिखायी

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धर्म के झुठे अहंकार मे जिने वाले पुरातनवादी संस्कृतीवादी लोग अंग्रेजो के बारे मे ये कहते है कि इन्होंने हमारा विज्ञान चोरी किया,हमारी सभ्यता नष्ट कि, हमारी महान गुरुकुल व्यवस्था नष्ट कि जातीवाद के जिम्मेदार अंग्रेज है, अंग्रेज आने से पहले देश मे कोई अनपढ नही था. इत्यादी. इन लोगों ने झुठे फैलाने के लिए मैकाले के नाम से बहोत सारे झुठे खत भी तयार करके रखे है. असल मे जिन अंग्रेजो के नाम से ये लोग झुठ फैलाते है उन्ही अंग्रेजो ने उनके धर्म पर बहोत बडा उपकार किया है उनकी कुप्रथायें बंद करके इस लेख मे मै अंग्रेजो द्वारा बंद कि गयी ऐसी कुप्रथायें बताने वाला हु जो इन वैदिक धर्मी सवर्णो के सभ्य होने पर संदेह उत्पन्न कर देती है. 1. रथ यात्रा= जगन्नाथ धाम मे रथयात्रा के समय कितने भक्तजन रथ के पहियों के निचे मोक्षप्राप्ती कि अशा से जानबुझकर दबकर मर जाते थे.मानव सभ्यता को कलंकित करने वाला यह नृशंस कार्य हर तिसरे वर्ष होता था. ब्रिटिश सरकार ने इस प्रथा को कानुन के द्वारा बंद किया. 2. काशी-करवट= काशी धाम मे आदी विश्वेश्वर के मंदिर के पास एक कुआं है जिसमे मोक्ष प्राप्ती के अभिलाषा से कुदक...

ऋषी और उनके गुरुकुलों कि सच्चाई

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संघी,मनुवादी,दयानंदी,कथा वाचक बाबा,पंडे पुरोहित,दिक्षितवादी लोग एक दुषप्रचार हमेशा से करते आये है कि अंग्रेजो से पहले इस देश मे लाखो गुरुकुल थे जिसमे  विज्ञान गणित अर्थशास्त्र इत्यादी बहोत सारे 18-20 विषय पढाये जाते थे. जो भी खोज आविष्कार आधुनिक काल मे हुये है वो सारी बाते गुरुकुल मे पढाने वाले ऋषीओ को पहले से हि पता थी. क्या यह सब बाते सच है या फिर ये देश के भोले भाले लोगो को पुरातनवादी बनाने का एक षडयंत्र है ? गुरुकुलो मे क्या पढाया जाता था ये हमे उपनिषदो के कुछ प्रसंगो से पता चलता है. #प्रश्नोपनिषद प्रश्नोपनिषद के शुरु मे हि एक प्रसंग आया है 6 लोग ऋषी पिप्पलाद के पास जाते है, जो परब्रह्म को खोज रहे होते है. ऋषी पिप्पलाद उन्हे कहते है तुम 1 साल ब्रह्मचर्य का पालन करके तपश्चर्या करो और एक साल यही रहो बाद मे प्रश्न पुछना अगर मुझे उत्तर पता होगा तो बताऊंगा  -यदि विज्ञास्याम: सर्वं ह वो वक्ष्यामः (प्रश्नोपनिषद् 1/2) समिक्षा : इस प्रसंग से पता चलता है गुरुकुल मे कोई विज्ञान गणित जैसे विषय ना पढा कर केवल काल्पनिक ब्रह्म का उपदेश दिया जाता था. #केनो...

राम को महान दिखाने के लिए फैलायी गई कुछ अफवायें

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जबसे जागृत बहुजनो ने शुद्र शंबुक वध के कारण राम के चरित्र पर सवाल उठाने शुरु किये है तब से राम के नाम पर अपना धंदा चलाने वालो को उनका मार्केट डाऊन होने कि चिंता सताने लगी है. ये लोग साबित करने पर तुले है कि राम शुद्र विरोधी नही था. इसके लिए वो 2 उदाहरण देते निषादराज गुह और शबरीका इस लेख के माध्यम से हम उनके दोनो उदाहरणो कि समिक्षा करेंगे #निषादराज_गुह इन लोगों का कहना है कि निषादराज गुह और राम एकसाथ एक ही गुरुकुल मे पढे थे इससे  सिद्ध होता है कि शुद्रो को पढने लिखने का अधिकार था. असल मे ये बात गलत है. निषादराज गुह का उल्लेख अयोध्याकांड 50,51,52 और 84 मे है जगह जगह वो खुदको राम का सेवक हि कह रहा है. बताइये मै आपकी क्या सेवा करु(श्लोक 36) वह राम कि सेवा मे उपस्थित हुआ(श्लोक 37) हम आपके सेवक है और आप हमारे स्वामी (श्लोक 38) (देखे वाल्मिकी रामायण अयोध्याकांड 50) 51 वे अध्याय मे निषादराज गुह से कहता है यह(मै) सेवक तथा इसके साथ के सब लोग वनवासी होने के कारण सब प्रकार के क्लेश सहन करने योग्य है (श्लोक 3) जो लोक निषादराज का उदाहरण देकर साबित करना चाहते ह...

शिवलिंग शंकर का गुप्तांग हि है

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बहोत सारे लोग अपने धर्म कि अश्लिलता छिपाने के लिए दावा करते है शिवलिंग शिवजी का गुप्तांग नही है. यहा लिंग का अर्थ प्रतिक या चिन्ह है. इस दुष्प्रचार के लिए बहोत सारे लेख लिखे गये है, युट्युब पर व्हिडीओ बनाये गये है. कुछ युट्युब चॅनल्स तो ने शिवलिंग को सायन्स के साथ हि जोड दिया. इसलिए इस दुष्प्रचार का खंडन करना हमे आवश्यक लगा. अगर लिंग का अर्थ प्रतिक या चिन्ह है तो इसका नाम भि शिव प्रतिक या शिव चिन्ह होना चाहिये था. असल मे शिवलिंग शंकर का गुप्तांग हि है ये बात हम नही ब्राह्मणो के हि पुराणो मे लिखी है. #शिवपुराण शिवपुराण मे शिवलिंग स्थापना कि एक कथा है कथा के अनुसार दारु नाम के वन मे शिवभक्त ब्राह्मण रहते थे वे एक बार लकडियां चुनने के लिए वन को गये. उतने मे वहा शिवजी आ गये जोकी नंगे थे और हाथ मे अपना लिंग पकडे हुये थे. उनको देखकर ऋषींओ कि पत्नीया भयभित,व्याकुल,हैरान हो गयी. कई अलिंगन करने लगी. उतने मे वहा ऋषी महात्मा आ गये क्रोध मे उन्होंने श्राप दिया कि तुम्हारा लिंग पृथ्वी पर गिर पडे. और वैसा हि हुआ. वो लिंग जहा भी जाता सब कुछ जलकर भस्म हो जाता. तब उन ऋषी महात्माओ ...