संडास करण्याबद्दल मनुस्मृति मधील विचित्र नियम
मनुबाबा ने संडास करताना काही विशिष्ट नियमांच पालन करण्याचा फतवा जारी केला आहे. 👇 तिरस्कृत्योच्चरेत्काष्ठलोष्ठपत्रतृणादिना... नियम्य प्रयतो वाचं संवीतांगोsवगुंठित.... मुत्रोच्चारसमुत्सर्गं दिवा कुर्यादुदड्मुख.... दक्षिणाभिमुखो रात्रौ संध्यायोश्च तथा दिवा.. छायायामन्धकारे वा रात्रावहनि वा द्विज द्विज.... यथासुखमुखः कुर्यात्प्राणबाधाभयेषु च.. प्रत्यग्निं प्रतिसूर्यं च प्रतिसोमोदकद्विजान्... प्रतिगां प्रतिवाचं प प्रज्ञा नश्यति मेहत..... अर्थातः लकडी,मिट्टी,पत्ता,घास आदि से भूमी को ढक कर तथा चुप हो कर,सिर पर कपडा डाल कर (घुंघट सा निकाल कर) मलमुत्र त्याग करे.दिन मे तथा दोनो(प्रातःकाल और सायंकाल कि) संध्याओं मे उत्तर कि ओर मुंह कर के तथा रात्रि में दक्षिण की ओर मुंह कर के मलमुत्र त्याग करे.द्विज रात मे या दिन मे बादलों की छाया हो जाने पर अथवा कुहरे आदि से अंधेरा हो जाने पर और प्राणबाधा का भय होने पर जिस ओर चाहे मुंह कर के मलमुत्र त्याग कर सकता है. सर्य के सामने,चंद्रमा,जल,ब्राह्मण,गाय और हवा की ओर मुंह कर के मलमुत्र त्याग करने वाले कि बुद्धि नष्ट हो जाती है. (मनुस्मृत...