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Showing posts from May, 2020

वैदिक धर्म मे शुद्र का स्थान

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21 वी सदी के आधुनिक काल मे अमानविय कालबाह्य धर्म कि इज्जत बचाने के लिए संघी मनुवादी दयानंदी  कथावाचक बाबा पंडे पुरोहित किस तरह से झुठ बोलते है ये हम सब जानते ही है.  इनके अनेक झुठो मे से एक है वर्ण हर किसी को उसके कर्म से मिलता था. कोई भी किसी भी वर्ण मे जा सकता था.  कोई वर्ण किसी से उच्च-निच नही था. सबके साथ समानता थी.  इसलिए आज हम रामशरण शर्मा कि पुस्तक 'शुद्रो का प्राचिन इतिहास' के आधार पर शुद्रो कि स्थिती पर प्रकाश डालने वाले है.  पुस्तक काफी बडी है इसलिए हम कुछ ही मुद्दो को यहा प्रस्तुत करने वाले है  रामशरण शर्मा अपनी पुस्तक मे लिखते है  शुद्र भुमिहिन मजदूर थे.  आपस्तंभ मे कहा गया है कि शुद्र चरण पखार कर अपना गुजर बसर करते थे.  शुद्रो के पास कोई भुसंपत्ती नही थी. इसलिए अधिकांश लोगो को दुसरो कि जमिन मे काम करना पडता था. (पृष्ठ 87) धर्मसुत्रो से शुद्रो के रहन सहन कि स्थिती पर कुछ प्रकाश पडता है.  गौतम(गौतम धर्मसुत्र का लेखक) ने कहा है कि शुद्र नोकर को चाहिए कि वह उच्च वर्ण के लोगों द्वारा उतार फेके गये जुते छाते वस्त्र और चटाई का उपयो...

अतिथीदेवो भव कि सच्चाई

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बहोत सारे लोग अतिथीदेवो भव(तैत्तिरिय उपनिषद 1/11) के आधार पर अपने धर्म कि महानता दिखाते है.  उनका कहना है कि हमारी सनातन संस्कृती इतनी महान है कि इसमे अतिथी को देवता माना जाता है. क्या सच मे इस संस्कृती मे अतिथी को देवता माना जाता है ? या फिर ये अपने धर्म को महान दिखाने के लिए किया गया एक दुष्प्रचार है  जब हम  'अतिथीदेवो भव' के विषय मे गहराई मे जाकर पढते है तब पता चलता है कि इसकी सच्चाई कुछ और हि है  #कठोपनिषद  कठोपनिषद मे एक कथा है नचिकेता नाम का ब्राह्मण यम के घर जाता है.  यम तिन दिन के लिए बाहर गया होता है  तिन दिन के बाद वापस आने पर पत्नी उसे कहती है  ब्राह्मण अतिथी के रुप मे अग्नी देवता घर आती है  (कठोपनिषद 1/1/7)  यम कि पत्नी यम को ब्राह्मण अतिथी कि सेवा न करने से क्या क्या नुकसान हो सकता है ये बताती है.  ब्राह्मण कि महिमा सुन कर यम ने ब्राह्मण अतिथी कि पुजा करना शुरु किया  नचिकेता ब्राह्मण यम कि अनुपस्थिती मे तिन दिन भुखा रहने के कारण यम उसे तिन वर मांगने के लिए कहता है.  (कठोपनिषद 1/1/9)  ग्रंथ मे स्पष्ट कहा ग...

घोडों के बदले सेक्स 👉 महाभारत

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महाभारत मे राजा ययाती और उसकी पुत्री माधवी कि कथा है.  कथा के अनुसार  कथा के अनुसार विश्वमित्र अपने शिष्य गालव से 800 सफेद घोडो कि गुरुदक्षिणा मांगता है.  मदत के लिए गालव ययाती राजा के पास जाता है और 800 घोडे मांगता है.  लेकिन ययाती राजा पहले जैसा धनसंपन्न ना रहने के कारण वो अपनी बेटी माधवी को गालव को देता है  जिससे वो माधवी को भेज कर 800 घोडे हासिल करे.  माधवी को लेकर गालव हर्यश्व राजा के पास जाता है  हर्यश्व राजा सेक्स करके एक पुत्र उत्पन्न करने के बाद 200 घोडे देता है.  उसके बाद गालव माधवी को लेकर दिवोदास राजा के पास जाता है.  दिवोदास राजा माधवी के साथ सेक्स करके 200 घोडे देता है.  उसके बाद गालव माधवी को लेकर उशिनर राजा के पास जाता है.  उशिनर राजा माधवी के साथ सेक्स करके 200 घोडे देता है.  ऐसे कुल मिलाकर 600 घोडे और माधवी को लेकर गालव विश्वमित्र के पास जाता है.  गालव विश्वमित्रसे कहता है 600 घोडे मिले है.  बचे हुये 200 घोडो के बदले आप इसके साथ सेक्स करे....

आरक्षण : शंका समाधान

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खुप दिवसांनी हि Post तयार केली मी Social media वर नेहमी काही ठराविक लोकांना आरक्षणचा नावाने ठराविक वर्गाला Target करताना पाहील होते काही ठराविक संस्था व संघटना जाणुन बुजुन एका वर्गाला Target करत होता काहीही तर्कहीन memes  व Joke टाकुन त्या वर्गाला बौद्धीकदृष्टया कमी लेखत होता हे मी अनेकदा पाहीले व काहीही उत्तर दिले नव्हते पण हे अति झाल्याने मला आज नाइलाजास्तव टाकावे लागत आहे  तर निवांत वेळ काढुन नक्की वाचा           " आरक्षण मुद्दे व खंडन " प्रश्न १:-  आज गरिबांना आरक्षण दिले पाहिजे न कि जातीला, आरक्षण जातीवरूनच का? उत्तर :- भारतीय इतिहास पाहता गरिबीची मूळ कारणे जर शोधली तर ती होती जातीय व्यवस्था. जिथे शुद्र व अतिशूद्र जातींना कोणत्याही प्रकारचे कोणतेही सामाजिक, न्यायिक हक्क नव्हते. त्यांना फक्त सेवा देण्यासाठी वापरले जात असे. मग आता शुद्र कोण आणि अति शुद्र कोण ? तर शुद्र ते होते ज्यांच्याकडून सेवा करून घेताना स्पर्श झालाच तर चालून जायचा जसे शिंपी, लोहार, न्हावी. आणि अति शुद्र ते ज्यांचा स्पर्श कोणत्याही पद्धतीने समाजाला मान्य नव्हता. ज...