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क्या छुआछूत मुघल अंग्रेज़ो की देन है ?

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कालबाह्य धर्म कि इज्जत बचाने के लिए संघी मनुवादी, दयानंदी, कथावाचक बाबा पंडे पुरोहित तरह तरह के झुठ बोलते रहते है, जिसका खंडन भी हमने समय समय पर किया है।  उसी मे से एक दुष्प्रचार है कि छुआछुत का बामन धर्म से कोई लेना देना नहीं है ये प्रथा मुगल अंग्रेजों के कारण शुरू हुई थी।  इसलिए हम उन्हीं के ग्रंथो से दिखा देंगे कि छुआछुत बामन धर्म का अभिन्न अंग है। शुद्र का अन्न न खाएं प्रमुख धर्मसुत्रो के अनुसार यदि व्यक्ति उच्चवर्ण का है तो उसके लिए शूद्र के अन्न का भक्षण नहीं करना चाहिए । क्योंकि शूद्रों वर्गों में सबसे निम्न कोटि का माना है । यदि व्यक्ति अज्ञानवश या ज्ञानपूर्वक भी शूद्र के अन्न का भक्षण करता है तो वह पाप से ग्रस्त माना जाता है और अपवित्र हो जाता है । इस अपवित्रता से मुक्त होने के लिए सूत्रकारों एवं स्मृतिकारों के मतानुसार प्रायश्चित विधान इस प्रकार हैं । बौधायन के कथनानुसार शूद्र के अन्न का भक्षण करने से जो अपवित्रता उत्पन्न हो गयी है । प्रसृतयावक ' नामक प्रायश्चित साधन से इस पाप से मुक्त हो सकता है । पापी व्यक्ति कहे कि यव घृत है , यव मधु है , यव जल है , यव अमृत है । त...